महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे, फेंकम-फेक?
बोलने और बताने के तरीके और सभ्यता-संस्कृति? बोलने और बताने के तरीके या सीधे-सरल लोगों को भड़काने के? बावलीबूच बनाने के?
Highly offensive. But this is "ठेठ हरयाणवी", "खड़ी बोली", या "लठमार बोली" Or better to call that "political mix mischief"? यूँ लागै सै, यो Stand up commedy यहीं से निकली है। Read further at your own risk.
Food Poisoning?
उल्टी लाग री सैं, बालक होउ सै के?
उत अर उतणी कहण, इसे-इसे आग लाणियाँ नै के कहवैंगे?
उल्टी लाग री सैं, इह ताऊ कै। बालक होउ सै के? तोंद तो इह ढाल काढ़े खड़ा सै।
साले, बड़े बुजुर्गां न भी ना बख्सते। के लुगाई फेर, अर, के लोग?
Food adulterants?
बालक फैंक दिया, कौण-सा लाग रा था रै?
उत अर उतणी कहण, इसे-इसे आग लाणियाँ न के कहवैंगे?
बालक फैंक दिया साँड़ नै, कौन-सा लाग रा था रै?
Designed and targeted accident?
मेरा भाई अर वा कुतिया लाइव इन रवें थे।
उत अर उतणी कहण, इसे-इसे आग लाणियाँ न के कहवैंगे?
मेरे कुत्ते भाई नै, उह छोरी की टाँग तोड़ दी। स्कूटी पै थी, अर गाड़ी न ठोक दी। स्कूटी-सी हवा ले री थी, स्टार्ट अ ना होवै थी।
ज्यादा हो रहा है ना?
Status
अंडी उनकै चोंतरैं पै बैठ कै न औकात बतावे सैं, उन्हैं की?
साले बहाणा के खेत नुलावें सैं। अर, बात औकात की? वो भी जब गाम मैं पड़े सैं, ईब तहि।
Surgical Operation or Judicial Intervention? Operation Military?
सर्जिकल ऑपरेशन करना पड़ा। नूं बना के बात बनै थी। हरयाणै आले नुएँ घर-घर तै फ़ौज मैं थोड़ी अ सैं?
अर भाई पुलिसए भी तै सैं?
हाँ, सुण ली तेरी भी। पुलिसए भी तै सैं।
And sophisticated? What the hell is that?
हरियाणवीं, वा भी लठ मार, आपणे राजनीती के ताउवां अर ताईयाँ की, माँ, काकियाँ न समझाण की?
सुण-सुण क करते रहो, वाह ला दी भाई कती खड़ी आग, वाअ भी बिना पैट्रोल गेरेँ। ईब कई दन लागैंगे बुझाण मैं।
एक-आध फेर इसे-इसे भी डायलॉग मिल जांगे, जुकर कोए दादी अपनी छोटी-सी पोती न कहवे, जो सड़तोड़ भाजी जा सै, नून मत जाईये, उल्टी आ, ना तै पीट दूँगी। हाऊ सै उड़ै, अर लठ लिए बैठा सै।
या फिर छोरी उलटी होवै सै अक? सोड़-सी भरवा क मानैगी?
और सोचते ही रह जाओ, इतने छोटे बच्चे को ये सब समझ आ रहा होगा क्या? क्यूँकि, वो तो फिर भी आगे ही आगे भागती जा रही है।
फेर इसे-इसे भी मिल जांगे। आहें बेबे, तैने तै सही हरयाणवीं आवै सै। हाम तै सोचा करते तैने हरयाणवीं ना आंती।
सिर्फ हरयाणवीं? यो जो हरयाणवीं कै नाम पै पढण लाग रे सो, इह नै हरयाणवी कहा करैं? इह नै सुणा सै, राजनीतिक आग आली हरयाणवी कहा करैं या वो जेलर साहब हरयाणा की जेलाँ आली या आपणे हरयाणवी पुलिसियां आली? गॉल तै जणू, लाडू से फैंकण लाग रे सैं मैरेबटे।
ना रै ईब तै ना थाणे मैं, अर ना जेल मैं, इसी-इसी बोलते सुणते। साला यो जेल अर थाणे तो आड़ ए धरे लागे, इन राजनीती आले गामां मैं? जणू इसी-इसी बोली तै आग लाएं पाछे तै ये ए जेलर, अर पुलिसिये बणगे? बावली बुचो, आजकाल सुणा सै, वैं भी थोड़े-भोत सुधर लिए। थाम कद सुधरोगे?
कुछ-कुछ ऐसे ही शायद, जैसे महारे बावली बूच थोड़ी-सी अंग्रेजी बोलण आले तै ऐं, इम्प्रेस हो ज्यां सैं? या फेर कहवैंगे, घणी अंग्रेजी मत काट। बेरा सै तैने अंग्रेजी आवे सै। न्यूँ ना थोड़ी बहुत सीख लूँ। अर भासा इम्रेस होण खातर ना होंति, समझण अर समझाण तही हो सै।
बाकी यो बेरा ईब पाट्या सै, खड़ी अर लठमार बोली के हो सै। अर, हाम तै सोच्या करते, हाम ते पैदाइसी ठेठ हरियाणवी साँ? बोलणी ईबअ सीखी-सै सायद? राजनीती करणीयाँ आलयां की खड़ी आग लाण आली, अर लठ मार बोली समझे पाछै।
Too much हो गया ना? इसीलिए लिखा था ऊपर, अपने रिस्क पर ही पढ़ें आगे। मेरै तो जो हज़म-सा ना होवे, वो इह ढ़ाल कढ़ा करै बाहर, लिख-लिख क फेंके जाओ। पता नहीं कहाँ-कहाँ का देखा, सुना या समझा, इक्क्ठ्ठा करके पेलती रहती हूँ।
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