महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 28

  शब्दों की महिमा  हर शब्द कुछ कहता है। हर शब्द के पीछे कोई कोड है। जैसे?   Late या Early या on time ?   आपने अपने किसी घर के इंसान की फोटो ...

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Monday, January 27, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 25

 म्हारे एंडी फैंकम-फैंक

महारअ एक बावली बूच सै। इतनी बड़ी-बड़ी फेंके ए जा सै, अक लपेटते-लपेटते हार लिए हाम तो। 

महारअ एक एंडी न एक किताब लिखी, अर नू बोला, ईब इहने फिल्म बनान तैही भेझूँगा, फलाना-धमकाना नै। बड़े-बड़े नेता अभिनेता की तरैयां अमीर न बना त के स, गुजारा त हो ए जागा। 

अर स्क्रीन प आवाज़ आई, ईसपअ तो किताब भी कोय और लिखगा, अर फिल्म भी घनी पहलयॉँ बन ली। रोबोतडूं (Robot in Haryanvi)  कितए के।   

महारा एंडी स्क्रीन कहणि देखअ बावली बूच-सा। यो के बोल ग्या? इहमैं के भूत से आगे?  

स्क्रीन तै फेर आवाज़ आई, आपणे बाप JD नै जाणअ सै? उह्की किताब का नाम बेरा सै? अर उह पै बणी फिल्म का? 

ये कमीण कितने JD ले रहे सैं? ऊत, किह-किह नै बाप बणावे सैं? कैदे कॉलेज पहुंचान्वे सैं। कदे गाम के दूसरे हिस्से मैं किसे नै JD बतावैं सैं। अर ईब ब्लॉ, यो अमरीकन JD, जाणे सै के इहने? 

इह की तै जाणा जुणाई होती रह गी। न्यू बता तू स्क्रीन पै कौण-सा भूत बोलै सै? अर तैने सारे जहाण की खबर सै के? कितै भी किमय भिड़ा दे सै, बीणा हाथपाहं? 

स्क्रीन पै फेर आवाज़ आई, बुआ कहूँ अक ताई? मैंने अंग्रेजी मैं सर्विलांस एब्यूज, अर हरयाणवी मैं जमीण-आसमाँ के भीतर की जाणु सूं मैं, बोला करें। अर उस डाटा नै मैच करके बात करया करूँ। 

आच्छया बेटा। यो डाटा मैच सैंटर तेरा अ नाम सै के? अपणे तरोताज़ा JD आले नंबर की कुण्डली बता फेर?

कुण्डली तै पहलयॉँ Latest सुण तू 

किताब 


किताब अर? 
अर सुण फिल्म?
 

यो जो बोल रहया, इहे न Economy कहते बताए?   
भूतणी के, यो कौण-सी फिल्म (Protective covering) अर प्रोमोप्टेर (Promptor) तै बोल रहया सै? उहनै कौण बताण आवेगा? 


GB सरकार Rent की बात कर री थी G? 

और शायद ऐसा कुछ भी कह रही थी, अगर अभी तक भी नहीं मरी तो वक़्त को और आगे खिंच दो, सब कांडों पर पर्दा गिर जाएगा? 
राजमहल Vs शीशमहल?
और मरे हुए कोर्ट्स?
आम जनता कहाँ है यहाँ?   

No offence or defence against any person. Rather these are interesting ways to inform the public about tech world by politicians or any other person? 
My posts are just a try to inform about the world, we are living in. The designer lives of data world, the technologies, todays world is using and abusing without their knowledge and consent and common person has no idea about them. The way, this world try to match and fix things or manipulate is beyond common person understanding.

Tuesday, January 21, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 25

एक दिन ऐसे ही बात ही चल रही थी स्कूल बनाने की। और रितु ने कहा, ये है ना सँभालने के लिए। मैनेजर हमारा। और मुझे भी लगा, बात तो सही है। 

और कहीं पढ़ने-सुनने को मिला, मैनेजर? स्वीपर लगा लो। उसी लायक हैं ये। 

हैं ये। क्यूँकि, आसपास के कुछ और बच्चों की भी बात हो रही थी, कुछ और काम सौंपने की उन्हें। 

मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। कितना कुछ तो उल्टा-पुल्टा, यहाँ-वहाँ, रोज पढ़ने, सुनने या देखने, समझने को मिलता है। हर कमेंट गौर करने लायक नहीं होता, यही सोचकर हम कितना कुछ इग्नोर करते हैं? शायद सही भी है? 

भाभी के जाने के बाद, जिस तरह से हालात बदले या कहो की जबरदस्ती जैसे बदले गए। रोज-रोज के कारनामे देख, सुन या समझ, ऐसे-ऐसे कितने ही कमेंट, जैसे साक्षात से होते नज़र आ रहे हों। मगर, आप फिर और ज्यादा इग्नोर करने लगते हैं। ना सिर्फ ऐसे कमैंट्स को, बल्की, ऐसे-ऐसे, जलने-भुनने और दूसरों का बुरा चाहने वालों को भी। सिर्फ ऐसा चाहने वालों को? या इस बदलाव को जबरदस्ती जैसे लाने की कोशिश करने वाले भी? ऐसे वक़्त में, सही शायद यही रहता है, की अपना काम और लगन से करो और आगे बढ़ो। आप बढ़ोगे, तो साथ वाले भी कहाँ और कब तक पीछे धकेले जाते रहेंगें?

इस पीछे धकेले जाने की कोशिश की तह में एक विचार खास लगा। वो है दोगलापन। कुछ-कुछ ऐसा ही, जैसा पीछे पोस्ट में लिखा। और उसमें आप अकेले टारगेट नहीं हैं। या सिर्फ अकेले आपका परिवार टारगेट नहीं है। जो कोई समाज, आगे बढ़ती हुई दुनियाँ से पीछे रह रहा है, मान के चलो की वहाँ का सिस्टम और वहाँ की राजनीती उसके लिए ज़िम्मेदार है। वो छोटा-सा स्कूल जो कल तक खुद मुझे मज़ाक-सा लग रहा था, या छोटा-सा काम लग रहा था शायद? ना जाने क्या कुछ दिखा, बता और समझा गया? इतने आसान-से और छोटे-से काम पे कितने रोड़े और क्यों? मारकाट तक? धोखाधड़ी और छीना-झपटी तक? 

काम तो और भी बहुत हैं। सबसे बड़ी बात, आपने खुद अपने काम को इतना diverse कर लिया है की अकेले तो हो ही नहीं सकता। कितनों को ही लगा दो, कितनी ही तरह के कामों पर। कहना तो ये भी कितना आसान है ना? शायद हाँ और शायद ना? Earn and Learn या Learn and Earn प्रोग्राम्स कितने फिट बैठते हैं ना? ऐसी-ऐसी, छोटी-मोटी सी समस्यायों के लिए? ऐसा नहीं है की लोगों को कुछ आता जाता नहीं। बस, थोड़ी-सी दिशा देने की जरुरत है? दुनियाँ भर की युनिवर्सिटी के Innovative Centre,  Entrepreneur Centre, Tech Innovation Centre, Start up hubs, Arts and Crafts Centre, Career Studios, Interdisciplinary Innovation Centre, Science Parks, Science City, Food Tech and Agri Business Hubs, Multilingual Lab and Computer and AI Applications, Imagine। और भी पता नहीं, कैसे-कैसे नाम और मानव संसाधनों को दिशा देते और गाइड करते ये खास तरह के सेंटर। 

ये कुछ-कुछ ऐसे ही है, जैसे किसी बच्चे को बता, समझाकर और थोड़ा-सा उसकी सहायता कर या शायद सिर्फ पास बैठकर, कितने ही मुश्किल-से लगने वाले विषय (उसके हिसाब से) पर भी, बड़ी आसानी से कोई मॉडल बनवा सकते हो। मगर अकेले? शायद उससे भी आसान से विषय पर, कई दिन जद्दो-जहद कर या तो गुस्से और फ़्रस्ट्रेशन में फाड़ देगा या ढंग से पूरा नहीं कर पाएगा? माहौल, मुश्किल को आसान बना देता है और आसान को मुश्किल।          

कई बार शायद आपको खुद नहीं पता होता की आप ये भी कर सकते हैं और ये भी। ये भी और शायद ये भी। और इन सबकी खिचड़ी भी पका सकते हैं। क्यूँकि, कहीं न कहीं वो सब आपने किया हुआ है। कहीं हॉबी, तो कहीं एक्स्ट्रा कैरिक्यूलर। फिर आपका अपना फ़ील्ड तो है ही। ऐसा ही शायद सबके साथ है। कुछ भी ना करने वालों ने भी कुछ ना कुछ, कभी न कभी तो किया ही हुआ है। और ना भी किया हुआ हो तो रुची तो कहीं न कहीं सबकी होती हैं। मानव संसाधनों का प्रयोग करने की जरुरत है। दुरुपयोग करने वाले तो बहुत मिल जाएँगे। 

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 24

म्हारे एंडी फैंकम-फैंक

महारअ एक बावली बूच सै। इतनी बड़ी-बड़ी फेंके ए जा सै, अक लपेटते-लपेटते हार लिए हाम तो। 

महारअ आले तै तड़क ए तड़क, कितै बाँस आली, अर कितै फूल आली, झाड़ू ले के लाग जा सैं सामरण। 

 ब्रूम ब्रूम ब्रूमिंग (Broom  ing) ?  



हमारे देश के दोगले नेता,
 बड़ी-बड़ी गाड़ियों के काफिलों में चलने वाले? 
बड़े-बड़े घरों में रहने वाले? 
इनके घरों में सफाई कैसे होती होगी?
इन्हीं दिखावे वाली झाड़ुओं से?  

या इन बड़ी-बड़ी गाड़ियों की तरह मशीनें होंगी सफाई के लिए?  
खुद के लिए टेक्नोलॉजी और मशीनों का प्रयोग?
और अपनी जनता को कहते हैं, लो झाड़ू लगाओ? 
कौन सी? बाँस वाली या फूल वाली?

या आम जनता को Fool (मूर्ख) बनाने वाली? 

पीछे कहीं शायद आपने पढ़ा होगा की हर अपडेट, हर किसी के लिए जरुरी नहीं होता। बहुत से अपडेट ज़िंदगी को ना सिर्फ मुश्किल बनाते हैं, बल्की, आपका नुकसान भी करते हैं। आपके आसपास कहीं ज्यादातर नुकसान करने वाले अपडेट तो नहीं हो रहे?
अपडेट करो खुद को वक़्त के अनुसार और देखो, क्या आपके नुकसान का अपडेट है और क्या भले का? वो आपके ये नेता नहीं बताते। वो आपको खुद देखना पड़ेगा। जानते हैं, ऐसे कुछ अपडेट के बारे में आगे। 

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 साँड़ बाजार (Bull Market?)

इमेज इंटरनेट से ली गई है 

म्हारे एंडी फैंकम-फैंक  

बाजार जित-जित जितना घुसा, उड़ै-उड़ै का नाश ठा ज्या। यो घर छोङअ ना, रिश्ते-नाते छोङअ, खेत-खलिहान छोङअ ना आदमी, सब खा ज्या।  

भले-चंग्या नै बीमारी देवे, ऑपरेशन करे, अर मौतां प भी पीसे कमावै। 


इसके हवाले, मंदिर मस्जिद?

इसके हवाले, गुरुद्वारे गिरजाघर? 

इसके हवाले, स्कूल यूनिवर्सिटी? 

इसके हवाले, स्वास्थ्य हॉस्पिटल? 

इसके हवाले, हम सबकी ज़िंदगी? 

इसके हवाले, कुर्सियाँ सब?

इसके हवाले, मारकाट उनकी? 

और तुम्हें मालूम तक नहीं?

की ये सट्टा बाजारी क्या है?

यही सत्ता है?

और इसी का राज आज पे?

जो कोई जितना घुसा इसके चक्कर में 

वही बना उतना ही बेईमान, बेरहम और निर्दयी? 

और किया सब कुछ तार-तार उसने?     

अमेरिकन साँड़ बाज़ार, सत्ता के शिखर पर?

Make America Great Again?

Fix It?   

और उसका कैसा असर दुनियाँ पर?


अपने वाले नेताओं, अभिनेताओं से जानने की कोशिश करते हैं, आगे पोस्ट में।