महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 28

  शब्दों की महिमा  हर शब्द कुछ कहता है। हर शब्द के पीछे कोई कोड है। जैसे?   Late या Early या on time ?   आपने अपने किसी घर के इंसान की फोटो ...

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Sunday, August 4, 2024

अपडेट नहीं करोगे तो ?

 Somewhat like, "do so and so", ELSE  

धमकियाँ जैसे? या डरावे जैसे?

ऐसा ही कुछ है इस जुए के राजनीतिक धंधे में। और अपनी इन धमकियों या डरावों को कायम रखने के लिए ये पार्टियाँ कितनी ही तरह के साम, दाम, दंड, और भेद अपनाती हैं। 

पहले भी लिखा किसी पोस्ट में, हर अपडेट, हर इंसान के लिए सही नहीं होता। और ना ही जरुरी। हाँ। अपडेट लाने वालों के लिए जरुर होता है। नहीं तो, उनके नए-नए उत्पाद कैसे बिकेंगे? और कैसे उनके व्यवसाय या धंधे आगे बढ़ेंगे? नए-नए अपडेट या उत्पाद बाजार में लाने का मतलब ही, पुरानों को ठिकाने लगाना होता है। और जरुरी भी नहीं, की नया पुराने से बेहतर ही हो। या उस बेहतर में ऐसा कुछ भी, जिसकी आपको जरुरत तक हो। जैसे पीछे भाभी गए, तो अपराधीक मानसिकता वालों ने उनके लैपटॉप का ना सिर्फ विंडो उड़ा दिया। बल्की, उसमें ऐसा कुछ भी कर दिया, जिससे, जिसे मुश्किल से विंडो दुबारा इंस्टॉल करने तक का ही ज्ञान हो, कम से कम, वो उसे फिर से ना ठीक कर पाए।  

बिमारियों, इंसानों और रिश्तों के साथ भी ऐसा-सा ही है।            

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