महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 28

  शब्दों की महिमा  हर शब्द कुछ कहता है। हर शब्द के पीछे कोई कोड है। जैसे?   Late या Early या on time ?   आपने अपने किसी घर के इंसान की फोटो ...

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Thursday, February 13, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 28

 शब्दों की महिमा 

हर शब्द कुछ कहता है। हर शब्द के पीछे कोई कोड है। जैसे?  

Late या Early या on time ? 

आपने अपने किसी घर के इंसान की फोटो लगाई हुई है, जो अब इस दुनियाँ में ही नहीं है? क्या लिखा है उस पर? कौन लेके आया था उसे? सोचो, वो "दिखाना है, बताना नहीं" के अनुसार क्या है? Late? और तारीख के नंबर? फोटो कौन-सी और किस वक़्त की है? कोई सुन्दर-सी है या? क्या पहना हुआ है? फोटो पे कोई माला या कुछ और भी पहनाया हुआ है? जानने की कोशिश करें?  

जाने वाला late था क्या? या आपकी ज़िंदगी में तो सही वक़्त पर आया था या थी? या शायद वक़्त से पहले ही? फिर ये late क्या है? ये जो अब उस घर में बच गए, उनको late बताना या बनाना तो नहीं? या उस घर में होने वाले किसी खास या अच्छे काम को या लाभ या शुभ को? जो नंबर उस पर लिखे हैं, उनके अनुसार? मगर कौन बता रहा है? जाने वाला तो है ही नहीं। उस फोटो को लेकर कौन आया था? वो फोटो, कहाँ और किसने बनाई? वो उसे लेट कर गया? या घर के बाकी सदस्यों को? या किसी अच्छे या शुभ या लाभ वाले काम को? क्या पता खुद लाने वाले को या बनाने वाले को भी कुछ नहीं पता? 

वो तो खुद जाने वाले के जाने से दुखी हो? और सोच रहे हों, की इतने जल्दी कैसे चले गए? मगर लाने वाले का मतलब ये है, की उसने उसे लेट बना दिया? किसी तरह की अड़चन खड़ी कर दी, उसके रस्ते में? या उस घर के रस्ते में? कैसे संभव है? कोई अपने ही इंसान को कैसे लेट बना सकता है? या दुनियाँ से ही ख़त्म कर सकता है? सोच भी नहीं सकता शायद?    

आपने उस फोटो को कहाँ रखा या किसी ने आपसे कहकर रखवाया? अभी तक वो फोटो उसी जगह रखी है या उसकी जगह यहाँ से वहाँ या कहाँ बदली हो गई? खुद की या किसी ने कहा? माला वाला भी चढ़ा दी उस पर या ऐसे ही है? माला है? तो किस रंग की या कैसी या क्या कुछ है उस माला में?

इसे Show, Don't Tell बोलते हैं। दिखाना है, बताना नहीं। और इसके पीछे कोई न कोई राजनितिक पार्टी होती है, गुप्त तरीके से, उसकी सुरंगें।      

बदल दो इन लेट वाली फोटो को। इनकी जगह उस इंसान की कोई अच्छी सी फोटो लगा लो। उसपे जाने वाले को लेट नहीं लिखना और ना ही उसका दुनियाँ छोड़ने का दिन। वो सिर्फ उसका दुनियाँ छोड़ने का दिन नहीं था, बल्की, शायद आपकी या आपके घर की राह में रोड़े या अवरोध खड़ा करने का दिन था। खासकर, जब वो इंसान दुनियाँ से बहुत जल्दी गया हो। बहुत होंगी शायद आपके पास, उससे बेहतर फोटो। अगर कहीं कोई अजीबोगरीब माला वाला पहनाई हुई है, तो उसे भी हटा दो। शायद कुछ बेहतर हो। 

ऐसी ही कितनी ही रोज होने वाली छोटी मोटी-सी बातें या चीज़ें राजनितिक Show, Don't Tell या दिखाना है, बताना नहीं, होती हैं। और दिखाना है बताना नहीं, सिर्फ दिखाना या बताना नहीं होता, वैसा सा कुछ करना भी होता है। उन्हें समझने की कोशिश करें। वो चाहे आपका किसी के पास आना या जाना हो या कोई भी, किसी भी तरह का काम करना। चाहे आपका कहीं किसी से बोलना हो या बोलना बंध करना। या झगड़ा करना या कहीं किसी के पास बैठना। या बीमारी या मौत ही क्यों ना हो। सारा संसार छुपे तरीके से इन राजनितिक पार्टियों ने रंगमच बनाया हुआ है। और आपको लगता है की आप खुद कर रहे हैं? धीरे-धीरे समझोगे की आप खुद कर रहे हैं या आपसे कोई छुपे तरीके से करवा रहे हैं।  

बुरे को भुलाकर अच्छे को याद रखना, मतलब, अच्छी ज़िंदगी की तरफ बढ़ना। किसी भी इंसान का जन्मदिन अच्छा होता है। मरण दिन? उसे याद रखो की उस दिन वो इंसान हमें छोड़ गया। यूँ नहीं की वो लेट हो गया। और यूँ किसी फोटो पर तो बिलकुल नहीं लिखना। ऐसी फोटो को किसी ऐसी जगह बिल्कुल नहीं लगाना, की आते जाते या दिन में कितनी ही बार आप उसे देखते हों। कभी जन्मदिन या शादी वगैरह की फोटो भी लगाई है ऐसे? 

किन घरों में जन्मदिन, शादी या खुशियों वाली फोटो मिलेंगी? और किन घरों में बिलकुल सामने ऐसे, गए हुए लोगों की? वो भी लेट और वो तारीख लिखकर? ये मुझे पहले कहीं हिंट मिला था और फिर आसपास के घरों में देखा तो? छोटे-छोटे से घर और सब सामने "लेट" कैसे सजाए हुए हैं? कई-कई घरों में तो कई-कई लेट? जैसे कोई शुभ-मुहरत लेट? या जाने वाला कहीं किसी और भी लेट कर गया? वो भी खुद अपने किसी इंसान को। और आपने वो फोटो भी सजा दी? वही लेट और तारीख या शायद किसी खास माला के साथ?   

कुछ अजीबोगरीब से किस्से जानते हैं आगे। 

जैसे 

मोदी? बहु? साला?

बहु? अकबर? पुर?

क्या कोड है ये? 

या वीर? 

या AV? 

या नीलकंठ?

या F मिरर इमेज?  

या ??????????? कितने ही या ???????????

Tuesday, February 11, 2025

बच्चे जब आपको पहुँचा दें, अपने बचपन में?

वक़्त और अगली पीढ़ी के साथ-साथ बहुत कुछ बदलता है। काफी कुछ अच्छा और शायद कुछ ऐसा भी की लगे, अच्छा नहीं है। सूचनाओं का संसार, उनमें से एक है। 24 घंटे इंटरनेट की पहुँच और टीवी भी शायद। जब बच्चों को मजाक लगे, अच्छा आप जब छोटे थे, तो टीवी पे हर वक़्त प्रोग्राम नहीं आते थे? या इंटरनेट नहीं था? ये सीरियल्स भी नहीं थे? तो क्या था? 

जो भी हो, गुजरा वक़्त और बचपन हमेशा अच्छा होता है?




बड़े होकर जब आप अपने बच्चों को जाने क्यों वो खँडहर दिखाने आते हैं? और बताते हैं, ये रसोई थी। मैं यहाँ पढता था या यहाँ सोता था। और आप पूछें, भैया ये स्टूडेंट कौन है, आपके साथ? क्यूँकि, वो शायद स्कूल यूनिफार्म में ही है। अरे। ये नहीं पहचाना? यक्षशांश। क्या नाम बताया? यक्षसांश? ओह। ये इतना बड़ा हो गया? और ये अंदर कौन है भैयी?


 
या फिर आपके यहाँ कोई पूछे, बुआ ये आज दादी की छत पर कौन घुम रहे थे? कोई आया हुआ था, इनके यहाँ (साथ वाले खँडहर में)? क्यूँकि, आजकल यहाँ नाम मात्र-सी, मजेदार-सी मरम्त चल रही है।           

Friday, February 7, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 27

 महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे, फेंकम-फेक?

बोलने और बताने के तरीके और सभ्यता-संस्कृति? बोलने और बताने के तरीके या सीधे-सरल लोगों को भड़काने के? बावलीबूच बनाने के? 

Highly offensive. But this is "ठेठ हरयाणवी", "खड़ी बोली", या "लठमार बोली" Or better to call that "political mix mischief" राजनीतिक गुंडागर्दी या उग्रवाद बोली? यूँ लागै सै, यो Stand up commedy यहीं से निकली है। Read further at your own risk.

भाई रै, अमरीका तै अमरीका सै। अवैध तरीके तै अमरीका जाण आले दुनियाँ के दादा नै काढ़ भगाए आपणे देस तै। 

मेरे तै नूं समझ ना आंता, ये ईतणे-ईतणे पीसे देके, या घर जमीन बेच कै, के डोके लेण जावेँ सैं अमरीका? के उनके कासण माँजन, झाड़ू काढ़ण अर बाथरुम साफ़ करण जावेँ सै उड़े?

कुतरुओ, उह खातर उड़ै काम आली बाई की जरुरत कोणी। अर काम आली बाई बी, थारे आले हालाँ भाँडे माँजते, झाड़ू लगाते, गोबर सर पै ढोते या पाणी ढोंते ना दीखैं, जुकैर थारैअ। जब तै कहूँ सूँ, थारे तै भी अक अपडेट कर लो, आपणे घर के छोटे-मोटे एप्लायंस नै। ना तै ये घणे श्याणे घर आली की बजाय, काम आली धरे पावैंगे थारअ। 

फेर करते रहियो, पाणी-पाणी, इह आपणे FIFA की तरैया?  

और FIFA का Lego या Lago? 

यूनिवर्सिटी का कौन सा घर बताया यो?
Mar-a-Lago?
Florida? 
या White House? 
Pink House? 
कम से कम बाहर से?  
समुंदर से घिरा हुआ?
या 
डालमियाँ विभाग से? 
(हर रँग कुछ कहता है? आगे किसी और पोस्ट में) 

ईब दादा समँदर तै घिरा हुआ मत सोच जाईयो। 
सैक्टर-14 मैं भी मेरे पड़ोस मैं एक समंदर था। 
अब पता नहीं यूनिवर्सिटी रहता है या कहाँ?
मेरा क्लासमेट और फिर colleague वहीं एक डिपार्टमेंट में। 
वैसे, सैक्टर-14 का Media Culture क्या था? 
आगे किसी और पोस्ट में
 
और ये कैसी ईमेल है?       


 

अर यो metaphore आला अमरीका, MDU रोहतक मैं धरा बताया? White House भी उड़ै ए-सी कितै बताया? अर Mar-a-Lago भी? यो Donald Trump भी उड़ैअ सी रहंता बताया? पर पाछै-सी सुणा था, अक Melania Trump उड़ै ना रहंति? बेरा ना बडे आदमियाँ के कितने और किसे-किसे घर होवेँ सैं? और दुनियाँ भर मैं कीत-कीत, अर किसे-किसे साँग रचे जां सैं? कितनी आपणै नाम की metaphoric गोटी, कीत-क़ित धर दें सैं अंडी? उनके White House अर Mar-a-Lago, अर थारे बावली बूचां के? खँडहर? वो भी पड़ दादा के? हो नै बावली बूच?

अर वैं? 

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 26

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे, फेंकम-फेक?

बोलने और बताने के तरीके और सभ्यता-संस्कृति? बोलने और बताने के तरीके या सीधे-सरल लोगों को भड़काने के? बावलीबूच बनाने के? 

Highly offensive. But this is "ठेठ हरयाणवी", "खड़ी बोली", या "लठमार बोली" Or better to call that "political mix mischief"? यूँ लागै सै, यो Stand up commedy यहीं से निकली है। Read further at your own risk.

Food Poisoning? 

उल्टी लाग री सैं,  बालक होउ सै के? 

उत अर उतणी कहण, इसे-इसे आग लाणियाँ नै के कहवैंगे? 

उल्टी लाग री सैं,  इह ताऊ कै। बालक होउ सै के? तोंद तो इह ढाल काढ़े खड़ा सै। 

साले, बड़े बुजुर्गां न भी ना बख्सते। के लुगाई फेर, अर, के लोग? 


Food adulterants? 

बालक फैंक दिया, कौण-सा लाग रा था रै?  

उत अर उतणी कहण, इसे-इसे आग लाणियाँ न के कहवैंगे? 

बालक फैंक दिया साँड़ नै, कौन-सा लाग रा था रै?  


Designed and targeted accident? 

मेरा भाई अर वा कुतिया लाइव इन रवें थे। 

उत अर उतणी कहण, इसे-इसे आग लाणियाँ न के कहवैंगे? 

मेरे कुत्ते भाई नै, उह छोरी की टाँग तोड़ दी। स्कूटी पै थी, अर गाड़ी न ठोक दी। स्कूटी-सी हवा ले री थी, स्टार्ट अ ना होवै थी। 

ज्यादा हो रहा है ना? 


Status 

अंडी उनकै चोंतरैं पै बैठ कै न औकात बतावे सैं, उन्हैं की? 

साले बहाणा के खेत नुलावें सैं। अर, बात औकात की? वो भी जब गाम मैं पड़े सैं, ईब तहि।     


Surgical Operation or Judicial Intervention? Operation Military?

सर्जिकल ऑपरेशन करना पड़ा। नूं बना के बात बनै थी। हरयाणै आले नुएँ घर-घर तै फ़ौज मैं थोड़ी अ सैं? 

अर भाई पुलिसए भी तै सैं? 

हाँ, सुण ली तेरी भी। पुलिसए भी तै सैं। 


And sophisticated? What the hell is that?


हरियाणवीं, वा भी लठ मार, आपणे राजनीती के ताउवां अर ताईयाँ की, माँ, काकियाँ न समझाण की?

सुण-सुण क करते रहो, वाह ला दी भाई कती खड़ी आग, वाअ भी बिना पैट्रोल गेरेँ। ईब कई दन लागैंगे बुझाण मैं। 

एक-आध फेर इसे-इसे भी डायलॉग मिल जांगे, जुकर कोए दादी अपनी छोटी-सी पोती न कहवे, जो सड़तोड़ भाजी जा सै, नून मत जाईये, उल्टी आ, ना तै पीट दूँगी। हाऊ सै उड़ै, अर लठ लिए बैठा सै।  

या फिर छोरी उलटी होवै सै अक? सोड़-सी भरवा क मानैगी?   

और सोचते ही रह जाओ, इतने छोटे बच्चे को ये सब समझ आ रहा होगा क्या? क्यूँकि, वो तो फिर भी आगे ही आगे भागती जा रही है। 

फेर इसे-इसे भी मिल जांगे। आहें बेबे, तैने तै सही हरयाणवीं आवै सै। हाम तै सोचा करते तैने हरयाणवीं ना आंती। 

सिर्फ हरयाणवीं? यो जो हरयाणवीं कै नाम पै पढण लाग रे सो, इह नै हरयाणवी कहा करैं? इह नै सुणा सै, राजनीतिक आग आली हरयाणवी कहा करैं या वो जेलर साहब हरयाणा की जेलाँ आली या आपणे हरयाणवी पुलिसियां आली? गॉल तै जणू, लाडू से फैंकण लाग रे सैं मैरेबटे। 

ना रै ईब तै ना थाणे मैं, अर ना जेल मैं, इसी-इसी बोलते सुणते। साला यो जेल अर थाणे तो आड़ ए धरे लागे, इन राजनीती आले गामां मैं? जणू इसी-इसी बोली तै आग लाएं पाछे तै ये ए जेलर, अर पुलिसिये बणगे? बावली बुचो, आजकाल सुणा सै, वैं भी थोड़े-भोत सुधर लिए। थाम कद सुधरोगे?          

कुछ-कुछ ऐसे ही शायद, जैसे महारे बावली बूच थोड़ी-सी अंग्रेजी बोलण आले तै ऐं, इम्प्रेस हो ज्यां सैं? या फेर कहवैंगे, घणी अंग्रेजी मत काट। बेरा सै तैने अंग्रेजी आवे सै। न्यूँ ना थोड़ी बहुत सीख लूँ। अर भासा इम्रेस होण खातर ना होंति, समझण अर समझाण तही हो सै।     

बाकी यो बेरा ईब पाट्या सै, खड़ी अर लठमार बोली के हो सै। अर, हाम तै सोच्या करते, हाम ते पैदाइसी ठेठ हरियाणवी साँ? बोलणी ईबअ सीखी-सै सायद? राजनीती करणीयाँ आलयां की खड़ी आग लाण आली, अर लठ मार बोली समझे पाछै।   

Too much हो गया ना? इसीलिए लिखा था ऊपर, अपने रिस्क पर ही पढ़ें आगे। मेरै तो जो हज़म-सा ना होवे, वो इह ढ़ाल कढ़ा करै बाहर, लिख-लिख क फेंके जाओ। पता नहीं कहाँ-कहाँ का देखा, सुना या समझा, इक्क्ठ्ठा करके पेलती रहती हूँ।   

Sunday, February 2, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 26

Common Sense और महारे बावली बूच? या? महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे?

"महारे बालकां धौरअ थोड़ा बहुत पीसा भी सै, अर थोड़ी बहुत ज़मीन भी। करोड़ों के मालिक होते हुए भी रहते हैं गई-गुजरी सदियों में।" 

सुना-सुना सा लग रहा है? चलो करोड़ों के ना, लाखों के मालिक तो होंगे? मगर, उनकी सोच को कौन बदलने आएगा? उसपै, बावली बूच बणाण आले श्याणे?

Water Purifier 

जैसे बाहर के या गंदे पानी से कोई खतरा नहीं, चाहे उसके नाम पे राजनीती अपने उफान पे हो? घर पे water purifier हो तो भी चलाना नहीं? क्यों? बावली बूच किह नै कहा ए करैं? 

आपके ये नेता भी पीते हैं, कभी ऐसे ही कहीं का भी कोई भी पानी? नौटंकी चाहे वो कैसी भी करलें? हमारे गरीब नेता (गरीब नेता?) फिर गंदे पानी को मुद्दा कैसे बनाएँगे?  

झाड़ू? 

भारत की राजनीती की सुनहरी, सफ़ेद और काली झाड़ू? और भी कितने ही रंग होंगे? अपने यहाँ वो कुछ भी प्रयोग करें, मगर? मगर बावली-बूचां के अड्डा पै तो? राम, राम, राम। फिर अपने नेताओं की राजनीती के अहम मुद्दे क्या होंगे?  

ब्लाह जी वो तो फेर भी ढूँढ लावेंगे। 

कैसे? बिजली के एप्लायंस एक के बाद एक ख़राब करके?   

वैसे हम हैं मजेदार लोग। हमें कोई भी insecure करके, अपना कैसा भी आदमी हमारे घर घुसा दे। बताओ ये दिक्कत, वो दिक्कत, काम वाली तो चाहिए? घर वाली नहीं, काम वाली? अब वो काम वाली घर का कैसा भी बेड़ा गरक करै चाहे? मगर छोटे-मोटे रोजमर्रा के एप्लायंस अपडेट नहीं करेंगे? भला, खराब होण पे ठीक कैसे होंगे? बताओ? आज ज्यादातर घरों में गाड़ियाँ हैं। बैलगाड़ी क्यों नहीं खरीद लेते? गाड़ी खराब होने पे ठीक थोड़े ही होती हैं? और घर के ये छोटे-मोटे एप्लायंस तो 20 -30000 से शुरु हो जाते हैं। कुछ तो शायद इससे भी कम।  

आप पढ़ाई में ठीक ठाक हैं? या शायद आप का बच्चा?

वो आपको पढ़ाई से डरना सीखा देंगे और किताबें, वो तो बिगाड़ती हैं? ना ज्यादा खुद पढ़ना और ना अपने बच्चों को पढ़ने देना?

लैपटॉप? 

अरै कोई काम ना सै इसका। एक तरफ राख भाई इह नै। इह तै बढ़िया तै ताश, हुक्का और कबूतर जैसे खेल सैं? थोड़ा और आग ए बढ़ना हो तै दारु, जुआ और ड्रग्स लेणा शुरु कर दो। 

ऑटोमैटिक वॉशिंग? 

फेंकों इह नै या तोड़ दो। या तो अमरीकन सै। विदेसी कंपनी सै भाई यो। देसी लावांगे। 

एंडी सैमसंग ले आए। वा तै इनकै बाप नै बणा राखी सै? घणी देसी? घर मैं धरी नै विदेसी कै नाम पै तुड़वा दो। अर देसी कै नाम पै पीसे फालतू पड़े हांड़े सैं?  

डिश वॉशर? 

अर के डिश-फिश लाग री सै? घणा पाणी लेगी और इतनी महँगी। क्यों चक्कर मैं पड़ै। लुगाई-पताई के करैंगी फेर? ना तै काम आली ला ले। थोड़े सै मैं कर देगी। महँगी? कितनी?  

बावली बूचाँ नै ना बेरा ज्यादातर नए अपडेट या मॉडल पानी ही नहीं बल्की बिजली भी कम प्रयोग करैं सैं। अर ज्यादातर तकरीबन उतने ही महँगे सैं, जितने पुराने मॉडल। कोई खास फर्क नहीं।  

मानसून वेड्डिंग।

काम आली ब्याह लाए भाई, भकाई मैं? AI आल्याँ नै भी ड्रामें का कती नास-सा तार दिया। दे झमा-झम। अर ऊप्पर तै बिजली, कती कड़ा कड़ कर री। ब्ला डुबोअगा। भुण्डा अँधेरा कर दिया डाकियाँ नै। अर आड़ै बे-बे हर उलझा दी, ब्ला आपणअ आले अंगूंठे अर ऊँगली लावान्वागें। रै वो थापे कै नाम पै। ब्ला माहरै आले खास छपाई के पेपर पै लावान्वागें। 

कती मानसून वेड्डिंग बनादि?   

वैक्यूम क्लीनर? 

भाई फेर ब्याह ना होवै। आपणी झाड़ू ए बढ़िया सै। बता, इन नेता-वेतां के तो बेरा ए ना कै, कै ब्याह हो ज्या सैं। साले एक तै लेटेस्ट एक ऑटोमैटिक मॉडल धर रे सैं आपणै घराँ। के गाडी, अर के घर के छोटे-मोटे एप्लायंस। अर ब्ला थारे फेर ब्याह ना होंवें? बावली बुचो, कैदे वै उल्टा तै नाश ना करण लाग रे? एक बै इतना तै सोच लो। जित घणी सुविधा हों, सब ठीक-ठाक हो। मिलजुल कै सारे ढंग सर रहते हों, उड़ै ब्याह बढ़िया ढाल के होया करैं या बावली बूच बणे अर पिछड़े रहण पै? ब्ला घराँ धरा भी प्रयोग ना करना। अशुभ बताया? 

बैड, मैट्रेस्स

अरै यो माँ का बैड मैट्रेस्स उड़े बैठक मैं धर, सांडा खातर। चारपाई बढ़िया हो सै बूढ़्यां खातर। 

के कर लो इसा-इसां का? कोए आपण माँ-बाप नै सुख-सुविधा देते ना हारते। अर इण झकोईयाँ धौरए, इसे-इसे जानवर आवैं सैं, जो इनका भूंड़ां ए भूंडा चाहवें? जिह आदमी नै इतने सालां मैट्रेस्स पै सोण की आदत पड़ री हो, वो बुढ़ापे मैं चारपाई पै कित-कित दर्द तै टस-टस करैगा? 

ना करए भाई, महारए आले तै आपणे लाडलां धोरै, जुकर राख लें, नू ए चुपचाप पड़े रहं। कोए इण बावली बूचाँ नै कुकरै भका जा। ऊँ चाहे पाहं दबवालो, किमै करवालो, किमै मँगवा लो। पर भकाई पै ब्ला भूंडे घणे। करे-धरे पे पानी फेर दें।  

इसे-इसे, रोज-रोज के कितने अ किस्से-कहाणी लिख लो।   

ऐसे से ही हाल हमारे पढ़े लिखे बड़े-बड़े संस्थानों के हैं। खुद वो कैसे भी घरों में रहें। अपने ऑफिसों में कितने ही लेटेस्ट उत्पाद प्रयोग करें। मगर, अपने साफ़-सफाई करने वाले कर्मचारियों या और भी कितने ही छोटे-मोटे कर्मचारियोँ को वही पुराने जमाने के झाड़ू मॉडल और ठेकेदारी शोषण प्रथा में उलझाए मिलेँगे। आखिर हमारी राजनीतिक पार्टियों के मॉडल यही हैं, अपनी जनता के लिए।  

Monday, January 27, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 25

 म्हारे एंडी फैंकम-फैंक

महारअ एक बावली बूच सै। इतनी बड़ी-बड़ी फेंके ए जा सै, अक लपेटते-लपेटते हार लिए हाम तो। 

महारअ एक एंडी न एक किताब लिखी, अर नू बोला, ईब इहने फिल्म बनान तैही भेझूँगा, फलाना-धमकाना नै। बड़े-बड़े नेता अभिनेता की तरैयां अमीर न बना त के स, गुजारा त हो ए जागा। 

अर स्क्रीन प आवाज़ आई, ईसपअ तो किताब भी कोय और लिखगा, अर फिल्म भी घनी पहलयॉँ बन ली। रोबोतडूं (Robot in Haryanvi)  कितए के।   

महारा एंडी स्क्रीन कहणि देखअ बावली बूच-सा। यो के बोल ग्या? इहमैं के भूत से आगे?  

स्क्रीन तै फेर आवाज़ आई, आपणे बाप JD नै जाणअ सै? उह्की किताब का नाम बेरा सै? अर उह पै बणी फिल्म का? 

ये कमीण कितने JD ले रहे सैं? ऊत, किह-किह नै बाप बणावे सैं? कैदे कॉलेज पहुंचान्वे सैं। कदे गाम के दूसरे हिस्से मैं किसे नै JD बतावैं सैं। अर ईब ब्लॉ, यो अमरीकन JD, जाणे सै के इहने? 

इह की तै जाणा जुणाई होती रह गी। न्यू बता तू स्क्रीन पै कौण-सा भूत बोलै सै? अर तैने सारे जहाण की खबर सै के? कितै भी किमय भिड़ा दे सै, बीणा हाथपाहं? 

स्क्रीन पै फेर आवाज़ आई, बुआ कहूँ अक ताई? मैंने अंग्रेजी मैं सर्विलांस एब्यूज, अर हरयाणवी मैं जमीण-आसमाँ के भीतर की जाणु सूं मैं, बोला करें। अर उस डाटा नै मैच करके बात करया करूँ। 

आच्छया बेटा। यो डाटा मैच सैंटर तेरा अ नाम सै के? अपणे तरोताज़ा JD आले नंबर की कुण्डली बता फेर?

कुण्डली तै पहलयॉँ Latest सुण तू 

किताब 


किताब अर? 
अर सुण फिल्म?
 

यो जो बोल रहया, इहे न Economy कहते बताए?   
भूतणी के, यो कौण-सी फिल्म (Protective covering) अर प्रोमोप्टेर (Promptor) तै बोल रहया सै? उहनै कौण बताण आवेगा? 


GB सरकार Rent की बात कर री थी G? 

और शायद ऐसा कुछ भी कह रही थी, अगर अभी तक भी नहीं मरी तो वक़्त को और आगे खिंच दो, सब कांडों पर पर्दा गिर जाएगा? 
राजमहल Vs शीशमहल?
और मरे हुए कोर्ट्स?
आम जनता कहाँ है यहाँ?   

No offence or defence against any person. Rather these are interesting ways to inform the public about tech world by politicians or any other person? 
My posts are just a try to inform about the world, we are living in. The designer lives of data world, the technologies, todays world is using and abusing without their knowledge and consent and common person has no idea about them. The way, this world try to match and fix things or manipulate is beyond common person understanding.

Tuesday, January 21, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 25

एक दिन ऐसे ही बात ही चल रही थी स्कूल बनाने की। और रितु ने कहा, ये है ना सँभालने के लिए। मैनेजर हमारा। और मुझे भी लगा, बात तो सही है। 

और कहीं पढ़ने-सुनने को मिला, मैनेजर? स्वीपर लगा लो। उसी लायक हैं ये। 

हैं ये। क्यूँकि, आसपास के कुछ और बच्चों की भी बात हो रही थी, कुछ और काम सौंपने की उन्हें। 

मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। कितना कुछ तो उल्टा-पुल्टा, यहाँ-वहाँ, रोज पढ़ने, सुनने या देखने, समझने को मिलता है। हर कमेंट गौर करने लायक नहीं होता, यही सोचकर हम कितना कुछ इग्नोर करते हैं? शायद सही भी है? 

भाभी के जाने के बाद, जिस तरह से हालात बदले या कहो की जबरदस्ती जैसे बदले गए। रोज-रोज के कारनामे देख, सुन या समझ, ऐसे-ऐसे कितने ही कमेंट, जैसे साक्षात से होते नज़र आ रहे हों। मगर, आप फिर और ज्यादा इग्नोर करने लगते हैं। ना सिर्फ ऐसे कमैंट्स को, बल्की, ऐसे-ऐसे, जलने-भुनने और दूसरों का बुरा चाहने वालों को भी। सिर्फ ऐसा चाहने वालों को? या इस बदलाव को जबरदस्ती जैसे लाने की कोशिश करने वाले भी? ऐसे वक़्त में, सही शायद यही रहता है, की अपना काम और लगन से करो और आगे बढ़ो। आप बढ़ोगे, तो साथ वाले भी कहाँ और कब तक पीछे धकेले जाते रहेंगें?

इस पीछे धकेले जाने की कोशिश की तह में एक विचार खास लगा। वो है दोगलापन। कुछ-कुछ ऐसा ही, जैसा पीछे पोस्ट में लिखा। और उसमें आप अकेले टारगेट नहीं हैं। या सिर्फ अकेले आपका परिवार टारगेट नहीं है। जो कोई समाज, आगे बढ़ती हुई दुनियाँ से पीछे रह रहा है, मान के चलो की वहाँ का सिस्टम और वहाँ की राजनीती उसके लिए ज़िम्मेदार है। वो छोटा-सा स्कूल जो कल तक खुद मुझे मज़ाक-सा लग रहा था, या छोटा-सा काम लग रहा था शायद? ना जाने क्या कुछ दिखा, बता और समझा गया? इतने आसान-से और छोटे-से काम पे कितने रोड़े और क्यों? मारकाट तक? धोखाधड़ी और छीना-झपटी तक? 

काम तो और भी बहुत हैं। सबसे बड़ी बात, आपने खुद अपने काम को इतना diverse कर लिया है की अकेले तो हो ही नहीं सकता। कितनों को ही लगा दो, कितनी ही तरह के कामों पर। कहना तो ये भी कितना आसान है ना? शायद हाँ और शायद ना? Earn and Learn या Learn and Earn प्रोग्राम्स कितने फिट बैठते हैं ना? ऐसी-ऐसी, छोटी-मोटी सी समस्यायों के लिए? ऐसा नहीं है की लोगों को कुछ आता जाता नहीं। बस, थोड़ी-सी दिशा देने की जरुरत है? दुनियाँ भर की युनिवर्सिटी के Innovative Centre,  Entrepreneur Centre, Tech Innovation Centre, Start up hubs, Arts and Crafts Centre, Career Studios, Interdisciplinary Innovation Centre, Science Parks, Science City, Food Tech and Agri Business Hubs, Multilingual Lab and Computer and AI Applications, Imagine। और भी पता नहीं, कैसे-कैसे नाम और मानव संसाधनों को दिशा देते और गाइड करते ये खास तरह के सेंटर। 

ये कुछ-कुछ ऐसे ही है, जैसे किसी बच्चे को बता, समझाकर और थोड़ा-सा उसकी सहायता कर या शायद सिर्फ पास बैठकर, कितने ही मुश्किल-से लगने वाले विषय (उसके हिसाब से) पर भी, बड़ी आसानी से कोई मॉडल बनवा सकते हो। मगर अकेले? शायद उससे भी आसान से विषय पर, कई दिन जद्दो-जहद कर या तो गुस्से और फ़्रस्ट्रेशन में फाड़ देगा या ढंग से पूरा नहीं कर पाएगा? माहौल, मुश्किल को आसान बना देता है और आसान को मुश्किल।          

कई बार शायद आपको खुद नहीं पता होता की आप ये भी कर सकते हैं और ये भी। ये भी और शायद ये भी। और इन सबकी खिचड़ी भी पका सकते हैं। क्यूँकि, कहीं न कहीं वो सब आपने किया हुआ है। कहीं हॉबी, तो कहीं एक्स्ट्रा कैरिक्यूलर। फिर आपका अपना फ़ील्ड तो है ही। ऐसा ही शायद सबके साथ है। कुछ भी ना करने वालों ने भी कुछ ना कुछ, कभी न कभी तो किया ही हुआ है। और ना भी किया हुआ हो तो रुची तो कहीं न कहीं सबकी होती हैं। मानव संसाधनों का प्रयोग करने की जरुरत है। दुरुपयोग करने वाले तो बहुत मिल जाएँगे।